महिला, शिशु और विकलांग कल्याण मंत्री लुलू झिंगवाना ने कहा, 'हम अपना आक्रोश और दुख प्रकट करना चाहते हैं।
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एक इंसानी जान हमारे पड़ोस में खत्म कर दी जाए, चाहे किसी दूर देश में, अगर वह मौत इंसाफ के तकाजों के विपरीत है तो उस पर दुख प्रकट करना ही चाहिए।
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घटनाओं और दुर्घटनाओं के बाद उन पर रोना, दुख प्रकट करना भारतीय सत्ता के शीर्षस्थ नेताओं की स्वाभाविक प्रवृत्ति रही है, लेकिन हर सामाजिक गतिविधि को पेशेवर बनाने और हर नागरिक को नैतिक और मौलिक स्तर पर उत्तरदायी बनाने के लिए कभी कोई बड़े स्तर की कार्रवाई नहीं की जाती।
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घटनाओं और दुर्घटनाओं के बाद उन पर रोना, दुख प्रकट करना भारतीय सत् ता के शीर्षस् थ नेताओं की स् वाभाविक प्रवृत्ति रही है लेकिन हर सामाजिक गतिविधि को पेशेवर बनाने और हर भारतीय नागरिक को नैतिक एवं मौलिक स् तर पर उत् तरदायी बनाने के लिए कभी कोई बड़े स् तर की कार्यवाही नहीं की जाती।